Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम्हें मैं कौन सा, जख्म दिखाऊँ

 

तुम्हें मैं कौन सा, जख्म दिखाऊँ

कहाँ - कहाँ  मैं ,  ले    जाऊँ 



तुमने   जहाँ   जहर   दिये

हमने जिसे हँस-हँस कर पीये

क्या  उस जगह , ले   जाऊँ 

तुम्हें मैं कौन सा,जख्म दिखाऊँ


दिल  जले ,   राख   हुए 

न  धुआँ उठे, न ख़ाक उड़ी 

ये कैसी चिता, तुमने सजाई 

न फूल सजे, न बजी शहनाई 



तुम्हें मैं कौन सा,जख्म दिखाऊँ

कहाँ - कहाँ  मैं ,  ले    जाऊँ 



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