चले हो जब , किस-किस का मिला साथ , मत देखो
रात अंधेरी है , मौसम है बरसात , आकाश मत देखो
बेरहम दुनिया जिल्लत के सिवा तुमको दिया ही क्या
बदलनाहै तुमको तकदीर, लकीरें हाथ मत देखो
जलतीहैं यहाँ रोज चिताएँ, कत्ल होतादिल
आकाश है धुआँ-धुआँ,उड़ रही किसकी खाक,मत देखो
शाम –ए-गम है, कुछ उस निगाहें नाज की बात करो
हरख्वाहिश होगी दिलकी पूरी, आश मत देखो
सड़क खून से लाल है निश्चय,किसी इन्सान का हुआ है
कत्ल ,हिन्दू की है या मुसलमान की,लाश मत देखो
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