Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्या कहती यह पायल समझ आता नहीं

 


क्या  कहती  यह पायल  समझ  आता नहीं

इस कदर  कोई  अपना  दिल  बहलाता नहीं


लहरों  में  खिला  कमल –सा  रूप, प्यार के

समंदर  में  नहाये  बिना  कोई  पाता  नहीं


ऐ मोहब्बत , तेरे वश में क्या  कुछ नहीं,फ़िर 

क्यों तेरा ग़म, पैमाने वफ़ा को भूल पाता नहीं


जब तक कोई ख़्वाहिश रुख़सत न हो दिल से

तब   तक   किसी   को  रोना  आता  नहीं


जब  चढ़ता  इश्क  का बुख़ार ,जुज़ वस्ल के 

सिवा, दिल   को  और   कुछ   भाता  नहीं

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