क्या –क्या न सहे हमने,सनम तेरे प्यार में
आग की दरिया पे चले, सनम तेरे प्यार में
शूल को फ़ूल समझ, गले से लगाये,नये-पुराने
सभी शहरों से रिश्ते तोड़े, सनम तेरे प्यार में
तेरी उलफ़त को तदवीर समझ,तकदीर से कभी
कोई शिकायत न की, सनम तेरे प्यार में
तू क्या गई, बहार के दिन भी रूठ गये हौसले
परवरदिगार के भी टूट गये, सनम तेरे प्यार में
जो दी होती तू, खुद से मेरे हाथों में पैमाना
हुस्न का आलम भी देख लेते,सनम तेरे प्यार में
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