क्यों तुमने मुझसे बेवजह तकरार किया
बातें क्या कम थीं तो खंज़र से वार किया
मिले सुख तुमको दुनिया की सारी
जीवन भर मैंने, थोड़े में गुजार किया
जब मिली न रोटियाँ पेट भरने को
हँस-हँसकर सुबह-शाम जलाहार किया
बेमतलब अनफ़ास को जाया न करूँ
सोच गम की दरिया का दीदार किया
शाम हो चुकी , रात है आनेवाली
दिन से लौटकर न आने का करार किया
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY