Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ले जाओ मेरे सीने से दिल निकाल के

 

ले   जाओ मेरे   सीने से दिल निकाल के गिरे न 

किसी  केनजरों से ,रखना  इसे संभाल के


आयेगा  बुरे  वक्त  में  बहुत  काम  तुम्हारे

मुज्तरिब- आशिक- जार1  है पर है कमाल के


न  रखना  कफ़स -ए- आहनी2 में  इसे कभी

लोग  कहेंगे ,तेरा साकी है बड़ी बुरे ख्याल के


न  हुआ दिले असर मेरे हाल पर तुमको कभी

फ़िर  तेरे  होठों  की हँसी है किस मलाल3 के


बड़ी  नाजुक  होती  है रिश्ता-ए-मुहब्बत  की

न  खीचो  इसे, न मुद्दा बनाओ मेरे सवाल के



  1. बेचैन दुखी प्रेमी  2.लोहे का पिजड़ा          

3. दुख


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