मैं सोचती हूँ, सनम तुम भी सोचो
क्यों लोग पागल, हमें कहने लगे हैं
इशारों को छोड़ो, नजरों से बुलालो
मेरे नैन तुमको अब समझने लगे हैं
पता चल गया मंजिल कहाँ है
सफ़र जिंदगी आसां लगने लगे हैं
तुम्हारी ये बाँहें बड़ी तरसाती हैं
मेरे कदम अब बहकने लगे हैं
मुझे अपने सीने से लगाकर तो देखो
कैसे दिल अरमां मचलने लगे हैं
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