माना कि तुमको, मुझसे प्यार नहीं है
फ़िर दिल को होता क्यों एतबार नहीं है
हर क्षण रहती है दिल में तसवीर
तुम्हारी, आँखों में जाता ख़ुमार नहीं है
जब तक न तुमको देख लूँ एक नज़र
बे-ताब रहता दिल, मिलता करार नहीं है
मोहब्बत के बाज़ार में,बिकने तो बैठा हूँ
तुम सा मिलता कोई ख़रीदार नहीं है
दिल को किसी तरह मना लेता हूँ,मगर
नज़रों पर चलता कोई इख़्तियार नहीं है
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