Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मेरे दिल में रहो, मेरा अरमान बनकर

 

मेरे  दिल   में   रहो, मेरा  अरमान  बनकर
रखूँगा संभाल अपना जान समझकर

कोई वादा नहीं, शर्त नहीं, मगर पूजूँगा
उम्र भर तुमको, भगवान समझकर

कभी जो मेरी वफ़ाई पर शक आ जाये तुमको
दे देना सजा-ए-मौत, कोई बेईमान समझकर

हम प्यार में जीते हैं, तो मरते भी हैं
आज़मां लेना, किसी रोज फ़रमान भेजकर

बाद यह मत कहना, तुम पे जो गुजरी,किसी पे
न गुजरे,गिराकर दो बूँद,एक अनजान समझकर


Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ