मुझे तुम्हारी खबर नहीं, मगर इतनी तो खबर है
कि सबसे अलग, सबसे जुदा तुम्हारी डगर है
तुम दिल भी लगाती हो तो,जमाने की हवा देखकर तुम पे
आशिके-जार1 की फ़रियाद का पड़ता नहीं असर है
बहकती फ़िरती हो तुम अपने रफ़ीक2 दिल के सहारे
इस गली से उस गली, कहो क्या यह झूठी खबर है
माना कि ज़फ़ा का इख्तियार है तुमको, मगर कभी तो
वफ़ा करो ,याद रखो, आगे अदम का सफ़र है
तुम्हारे जल्वे का ही धोखा है जो लोग अपने
ही घर को देखकर कहते, यह दुश्मन का घर है
- दुखी प्रेमी 2. हमसफ़र
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