Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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साकी ! सलामत रहे तू

 

साकी !  सलामत     रहे     तू    और     तेरा   मयखाना
हमने किया है अपनी जिंदगी का, मौत से बयाना1

जहाँ में चारो तरफ़ है , तेरा जल्वा-ए-मस्ताना
तेरे खिलाफ़ होकर भी क्या करेगा जमाना

खुदा ने तुझको हुस्न-बे-ऐब2 दिया, और दुनिया
कही, तुझसा नहीं दूसरा कोई हस्ती- ए -दाना3

बुलबुल , आँधी से नहीं, कफ़स4 से उबकर
खिज़ा5 में बाँधने चली है अपना आशियाना6

देखा न कोई दिल, जिसमें तमन्ना न हो जिंदा, खुदा
ने खूब बनाया है, जहाँ को आरजू का निगारखाना7

जो हम तुम्हारे दिल में नहीं, तो हमारा नाम तुम्हारी
जुबां पर आया कैसे , जानना चाहता जमाना



1.पेशगी 2.दोष रहित 3.समझदार 4.पिंजड़ा 5.पतझड़ 6.ठिकाना 7.चित्रशाला



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