Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शामे—जिंदगी में गम दौड़कर आया है

 

शामे—जिंदगी   में  गम  दौड़कर  आया  है

साथ  दोजख1  को  भी  बोलकर  लाया  है


किस्मत  मेरी बुरी सही, तबीयत बुरी नहीं थी

वह  अपने कूचे2 में  मुझको  घेरकर लाया है


उस  दुन्द-खू3  की  परवाह  नहीं, अफ़सोस है 

कि  सकूत-अबद4 के परदे को छेड़कर आया है


लगता  खुदा  से  बाबे-इबादत5 नहीं ली उसने

तभी  गुम्बद-द्वार6  को   तोड़कर  आया  है


सोचता  है, मैं  जाहिल  के  इस मुलाकात को 

नहीं समझती ,तभी दोनो हाथ जोड़कर आया है




1.नरक 2. गली 3. कड़वे स्वभाव वाला 4.सदैव की भाँति 5.स्वीकृति का द्वार 6. आसमान का द्वार .

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