Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सुबह, शाम,दोपहर, दिन-रात हो

 


सुबह, शाम,दोपहर, दिन-रात हो

हम-तुम,हमारा -तुम्हारा साथ हो


दुख आये या  सुख  जाये

एक  दूजे के  हाथ में  हाथ हो


कोई  न  दरमियां  आये  कभी

मौसम  शीत, ग्रीष्म, बरसात हो


इश्क  मरता नहीं, मिटने को हो

लाचार, ऐसा  न कभी हालात हो


कल का किसे पता,जब साँसों की

डोर  किसी  और  के  हाथ  हो


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