तुम्हारे गालों पे तिल पहले भी था
मगर तब इतना कातिल न था
ये आज इसे क्या हो गया
जालिम तो था , जाहिल नथा
पूछता था हाल- ए-दिल मेरा, जबमैं
किस्सा-ए-दिल बताने के काबिल न था
बहरे- जहां1 में, तबाह कश्ती-ए-उम्र2 के
भंवर बहुत थे, कोई दामने-साहिल3 न था
बेताबी-ए-दिल ले गई मुझको तेरे कूचे4में
मन मेरा इसमें शामिल न था
1. संसार रूपी समुद्र 2. जीवन की नैया
3. आँचल का सहारा 4. गली
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