उठो , जागो भारत के वीर नौजवान
हिन्द कराह रहा है, हवा है लहूलुहान
बुझ गई इन्सां के दिल की तरह,राहें वफ़ा
अपने ही खून से इन्सां कर रहा स्नान
डार चढ़कर तुम कर दो यह नारा एलान
डगर नहीं भगत सिंह का है हमसे अनजान
सफ़े दुश्मनों को बता दो, सुना दो ,कर्ज़
रखता नहीं बाकी किसी का, हिन्दुस्तान
सहर से कह दो, न घबड़ाये कभी, जो
चाहूँ तो उतारकर रख दूँ,जमीं पे आसमान
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