उसे मुरव्वत1 कैसी, वादा कर , वादे से
मुकड़ जाना , यह तो हुस्न की आदत है
समझाये कौन उसे, जवानी है ए क हवा का
झोंका, इसे खूँ करने की किसमें हिम्मत है
हम जिंदगी के तमाशे में अदम2को भूल गये,वह
कहती,खुदनुमाई3से तुमको मिलती कहाँ फ़ुर्सत है
खु़दा न करे, ऐसा दोस्त मेरे दुश्मन को मिले
यह मेरा दोस्त नहीं, यह तो एक मुसीबत है
गालियाँ देकर दुआ भिजवाती है वो, खत में
बन्दा-ए-खुदा4 की यहाँ होती कैसी खिदमत है
1.लज्जा 2.परलोक 3.उपेक्षा 4.खुदा का बन्दा
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY