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वैचारिक विविधिता से युक्त डॉ० श्रीमती तारा सिंह की पुस्तक

 

पुस्तक समीक्षा ---“रम्यतटी”
वैचारिक विविधिता से युक्त डॉ० श्रीमती तारा सिंह की पुस्तक
‘‘रम्य तटी” निबंध संग्रह
----- श्री कृष्ण मित्र (वरीय साहित्यकार,गाजियाबाद),समीक्षक


 ”रम्यतटी” निबन्ध संग्रह में डा0 श्रीमती तारा सिंह ने ‘गणतन्त्र’ दिवस की महत्ता से प्रारम्भ कर, बाल मजदूरों की समस्या और आज के युवा- वर्ग की कर्त्तव्य निष्ठा को विस्तार से कुछ नवीन विचार प्रस्तुत किये हैं । इन आलेखों में विदुषी लेखिका का तार्किक अनुसन्धान पठनीय और सराहनीय है ।

 

 

अनेक समस्याओं से जूझते हुए अपने देश का विवरण देते समय देश की बेकारी की समस्या और उसके अनेक कारणों पर प्रकाश डाला गया है । समाधान तो दिये ही गये हैं । भारत के पिछडे़पन, मंहगाई, भ्रष्टाचार आदि जलते सवालों को समाज के बौद्धिक वर्ग तक सौंपने का दायित्व निभाया गया है । दिल्ली की आत्मकथा तो रोचक और पठनीय है ही ; भू मंडलीकरण और हिन्दी कविता के शीर्षकों पर वैचारिक दृष्टिकोण भी दिया गया है ।

 

 

‘‘जीवन-मृत्यु”, ‘‘धर्म और धन्धा”, ‘‘धर्म और कर्म” जैसे तात्विक विषयों पर विस्तृत विचार –अभिव्यक्ति दी गई है । ‘‘राम काव्य और तुलसी दास “ के साथ-साथ, सन्त कबीर, पैगम्बर मुहम्मद‘‘ साहब के अतिरिक्त भक्ति की अन्यतम साधिका मीराबाई जैसे साहित्यिक विषयों पर विस्तृत मींमासा प्रस्तुत की गई है । सामाजिक विषयों में स्त्री विमर्श, वेश्यावृत्ति, दलित-विमर्श, कन्या - भ्रूण हत्या जैसी बुराई पर व्याख्यात्म विचार दिये गये हैं । इसी के साथ आदिवासी सभ्यता और संस्कृति एवं सम्प्रदाय जैसे गूढ़ विषयों को अत्यन्त सरलता से साहित्य के जागरूक पाठकों को समझाने का प्रयास किया गया है ।

डा0 तारा सिंह ने उत्सवों और संस्कृति के सम्भाव्य विषयों को भी अपनी सूक्ष्म बृद्धि से प्रस्तुत किया है । रक्षाबन्धन, होली, दीवाली, दशहरा, छठ पर्व आदि को ओझल नहीं होने दिया । भारत के गांव और उनकी समस्याओं को उद्घटित किया है । भगवान महावीर का पुण्य स्मरण किया है और नारी की हिस्सेदारी राजनीति में क्या और क्यों होनी चाहिये, जैसे विषय पर राजनीति के धुरन्धरों को झकझोरा है । देश की अनिवार्य आवश्यकता ‘‘पर्यावरण” का भी आलेख उनकी लेखनी के विषय बने हैं ।

 




अगर संक्षेप में कहा जाये तो निष्कर्षतः श्रीमती डा० तारा सिंह ने एक विदुषी और विचारवान लेखिका का धर्म निभाया है । इस के लिये उन्हें बार-बार बधाई देने का मन करता है । नारी की महत्ता को अपने सजग लेखन से श्रेष्ठ भूमिका प्रदान कर उन्होंने साहित्य के जागरूक रचनाकार होने का उदाहरण प्रस्तुत किया है । बत्तीस आलेखों में उनकी प्रतिभा बोलती है ।

पुस्तक का आवरण आकर्षक और प्रकाशन निर्दोष है । मूल्य उपयुक्त है ।

 

 

पुस्तक----- ‘‘रम्य तटी‘‘

 

समीक्षक - श्री कृष्ण मित्र, प्रवीण कवि व साहित्यकार, गाजियाबाद, 9818201978

 

 

लेखिका -- डा0 श्रीमती तारा सिंह
A

 

प्रकाशक -- मीनाक्षी प्रकाशन शक्करपुर, दिल्ली

मूल्य --- 200/- रूपये

प्राप्ति स्थान -- मुम्बई

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