Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वक्त में होती बड़ी जोर

 


वक्त – वक्त  की  बात है, वक्त  में होती  बड़ी जोर

वक्त  के आगे, क्या  राजा क्या  रंक,सभी कमजोर


वक्त है नदिया की धारा,कल-कल कर बहता निकल

जाता, मगर  कोई  नहीं  जानता, जाता किस ओर


वक्त  है  काँटों  का  ताज, वक्त है  फ़ूलों  की सेज

वक्त का है दिन और रात,वक्त की है साँझ और भोर


वक्त  है ख्वाबों  का साज, वक्त है जीवन और मौत

वक्त  है  झोंका  हवा  का, वक्त  है खुदा  का तोर


इसलिए , वक्त   रहते   वक्त  का   सम्मान  करो

वक्त -वक्त  कर  वक्त  के आगे  मत  मचाओ शोर


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