वक्त- वक्त की बात है
कभी दिन ,कभी रात है
कभी गाड़ी पर नाव, कभी
नाव पर गाड़ी, क्या बात है
तड़पना , मिलना , झगड़ना
अच्छी यहमुलाकातहै
कभी फ़ूलों की सेज है
कभी काँटों भरी रात है
कहना तो था बहुत कुछ
मगर कहने की क्या बात है
प्यार न हिन्दू न मुसलमान
होती नहीं, इसकी कोई जात है
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