Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वक्त- वक्त की बात है

 


वक्त- वक्त    की   बात    है

कभी   दिन ,कभी   रात   है


कभी  गाड़ी  पर   नाव, कभी

नाव  पर  गाड़ी, क्या  बात है


तड़पना ,  मिलना ,  झगड़ना

             अच्छी        यहमुलाकातहै


कभी   फ़ूलों   की  सेज   है

कभी  काँटों  भरी   रात   है


कहना  तो   था  बहुत  कुछ

मगर  कहने की  क्या बात है


प्यार  न हिन्दू  न मुसलमान

होती नहीं, इसकी कोई जात है





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