वे सपने में भी शरमाते रहे
लगाने से दिल घबड़ाते रहे
कर चाँद – तारों की बातें
मेरे बेताब दिल को बहलाते रहे
जिंदगी कट गई इंतजार में
वे दस्तूर दुनिया का निभाते रहे
मैं सहरा - सहरा भटकती रही
वे सागर की लहरों को गिनाते रहे
कभी भँवरे की बेवफ़ाई,कभी फ़ूलों
के दर्द की कहानियाँ सुनाते रहे
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