Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो आये , आकर चले गये

 

वो    आये ,  आकर   चले  गये

संग  सपने  भी  लेकर  चले गये


मुहब्बत अभी करवट भी न ली थी

दिल में  काँटे  चुभोकर  चले गये


राहें जिंदगी  की, कोई आखिर तक

साथ  नहीं देता, कहकर  चले गये


मिटतीं  देख,  जिंदगी  की   कद्रें

ख़्व्वब  गमगात  होकर  चले  गये


दौरे – जिंदगी  में  निगाहें  उनकी

कई  अफ़साने  लिखकर  चले गये

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