Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो आये हमारे घर, आकर चले गये

 


वो आये हमारे घर, आकर  चले  गये

दिल  को  जां  से  निकाल कर चले गये


यह    जगह    नहीं , मुसाफ़िर    जहाँ

ठहरे,   हमसे    कहकर    चले    गये


शोले   उठ   रहे   थे,  मेरे   दिल   से

करिश्मा- ए- निगाह   बताकर  चले  गये


सर भी झुका हुस्न का,इश्क के पाय-ए-नाज़ 

पर, हुस्न   खुरदुरा   है, कहकर  चले गये


उजड़े वन में कुछ आसार चमन के मिले थे

उसे  भी यादों का  समंदर बहाकर  ले गये


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