वो आये हमारे घर, आकर चले गये
दिल को जां से निकाल कर चले गये
यह जगह नहीं , मुसाफ़िर जहाँ
ठहरे, हमसे कहकर चले गये
शोले उठ रहे थे, मेरे दिल से
करिश्मा- ए- निगाह बताकर चले गये
सर भी झुका हुस्न का,इश्क के पाय-ए-नाज़
पर, हुस्न खुरदुरा है, कहकर चले गये
उजड़े वन में कुछ आसार चमन के मिले थे
उसे भी यादों का समंदर बहाकर ले गये
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