यह पैगाम तो एक बहाना है
इरादा आपको याद दिलाना है
आप हमें याद करें, न करें
आपकी याद आती है , बताना है
आपके बिना दिन तो कटता नहीं
बताइये रात कैसे बिताना है
दो जिस्म, एक जान हैं हम
दुनिया कोयह बात बताना है
बहुत जी लिए हम दूर रहकर
अब हमें एक साथ रहना है
साँझ ढल आई तो क्या हुआ
दीपक मिलकर साँझ का जलाना है
चार दिन की है यह जिंदगी
फिर तो खाक बन उड़जाना है
कौन यहाँ अमरत्व पीकर आया, सबों
को कैदे -हयात से आजाद होना है
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