रोशनी की अपेक्षा है तो
दिया चाहिए
सौभाग्य की अपेक्षा है तो
बेटी चाहिए
दिया रोशन करे
एक जगह में
बेटी रोशन करे
सारे घरबार को
माँ चाहुए पय्नी चाहिए
तो क्यों नहीं बेटी चाहिए
जिन्दगी को उजाकर करती
हर पल हसीन बनाती
ये बेटी साक्षात बेटी
कल्पतरु सा सब देती
बेटी है सरस्वती
बेटी है लक्ष्मी॥
बेटी हम जिन्दगी को सवारती है
बेटी हम लोगों को संभालती है॥
बस बेटी का तिरस्कार
मिले उसे अपना पुरस्कार॥
श्री सुनील कुमार परीट
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