काम क्रोध मोह को
जीत के बना है वीर
जीवन में अहिंसा का मंत्र
जाप के बना है महावीर॥
राजधर्म को त्याग के
मौन तपस्या अपनाया है
विचार बन गये सदाचार
और उसने ज्ञानोइदय पाया है॥
प्राणीमात्र में दैव पाके
णमोकार मंत्र गाया है
जिओ और जीने दो सा
अहिंसा का संदेश दिया है॥
राग-द्वेष को नष्ट करके
मनुज को समर्पण किया है
जहान-जहान को हर्शाया
सद्ज्ञान का उजियारा भरा है॥
२४ वे तीर्थंकर हैं महावीर
वे धरती पे स्वर्ग माना है
कर्म को सतकर्म बनाया है
जीन धर्म में मोक्ष पाया है॥
- श्री सुनील कुमार परीट
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