भारतमाता तेरे लिए जहां मनाने आया हूँ।
भारतमाता तेरे लिए जान लुटाने आया हूँ॥
भारतमाता का सपूत हूँ
महिमा उसकी गाता हूँ,
स्वर्ग अब नहीं कहीं
स्वर्ग भारत में पाता हूँ।
भारतमाता तेरे लिए धरती सजाने आया हूँ।
भारतमाता तेरे लिए जान लुटाने आया हूँ॥
वीर मर्दानों की लहू से
कब से पुण्यभूमि बनी तू
लोकरक्षा के हित में
हाथ में फूल लेकर खडी तू।
भारतमाता तेरे लिए सबको जगाने आया हूँ।
भारतमाता तेरे लिए जान लुटाने आया हूँ॥
चहुओर सुंदर हरियाली
सबमे भरती है तू प्राण,
तेरी महिमा है अपरम्पार
संसार की एक है तू शान।
भारतमाता तेरे लिए जान लुटाने आया हूँ॥
भारतमाता तेरे लिए जान लुटाने आया हूँ॥
डॉ० सुनील परीट
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