आज मैने भारत देखा
नहीं नंगा भारत देखा
कहने को बलिष्ठ राष्ट्र है
अंदर झाँका
सबकुछ नंगा है।|
बेबस जनता
लाचार जनता
क्या कर सकती है
आपको राजा बना सकती है
और मुँह ताकते बैठ जाती है।|
जनता के पेट में
रोटी नहीं
बदन पे कपडा नहीं
सर पे सहारा नहीं
जी कुछ भी नहीं जी
सबकुछ नंगा है।|
देश शायद नंगा नाच देख रही,
देश शायद भूखे को मार रही,
देश शायद बेसहारे को घूमा रही,
देश शायद गरीब की तमाशा देख रही,
देश मात्र ऐसा है तो
नहीं चाहिए हमें ऐसा देश
जो बुजुर्गो के पाँवों में
प्लास्टिक के चप्पल लटका रही,
और कुछ बुजुर्गों के पाँव नंगे है,
हमने आँखों देखा हाल है
नहीं ये तो देश बेहाल है॥
- श्री सुनील कुमार परीट
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