तुम देश का भविष्य हो
ये मेरे प्यारे बच्चे।
देश को महान बनाना है
तुम हो दिल के सच्चे॥
झगडे-कलह कभी न हो
सब मिल-जुलकर रहना है।
द्वेष-घृणा अब त्यागकर
सब जीवन अमृत पाना है॥
ईमानदारी नेकी से
धर्म की जोपासना करना है।
किसी बातों से बहकना नहीं
संस्कृति सब में भरना है॥
सयं कभी खोना नहीं
काम-क्रोध को जलाना है।
सनातन के संतान है हम
सब से प्रेम भाव जताना है॥
सारे जहाँ में लहराना है
देश को सबसे महान बानाना है।
मातृभूमि पवित्र है हमारी
नोच न लगे यही एक सपना है॥
डॉ० सुनील कुमार परीट
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