देश मेरा कहीं खो गया है
इतिहास गवां है
संस्कृति साक्ष्य देती है
धर्म ऐसा कभी नहीं था
देश मेरा कहीं खो गया है॥
राजा महाराजाओं की विभूति
साधू संतों कॊ पूण्यभुमि
अब दोनों का विश्वास नहीं रहा
देश मेरा कहीं खो गया है॥
राम सा पुरुषोत्तम नहीं
कृष्ण सा हमदर्द नहीं
राम कृष्ण को माननेवाले अब नहीं
देश मेरा कहीं खो गया है॥
सीता मैया सी कोई सहिष्णु नहीं
रधा सा कोई प्यार नहीं
देश में अब सिर्फ धोखा है
देश मेरा कहीं खो गया है॥
देश आतंक से भयभीत है
देश भ्रष्टाचार से कलंकित है
देश में आज कुछ भी ठिक नहीं
देश मेरा कहीं खो गया है॥
- डॉ. सुनील कुमार परीट
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