Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हर कल के लिए

 

वक्त छोटासा लगे
हाथ भर काम हो
खाली दिमाग कहते
शैतान का घर
काम में व्यस्त है
दिमाग आज भी
कल भी था
और कल भी रहेगा ।

 

कल की बात
कल ही जाने
जीना है आज
मस्त हवा के संग झूमना है
चाँद-सूरज सा चमकना भी है
नदी के लहरों के संग खेलना है
कोयल के संग गान है
मयूर के संग नाचना है
बहुत काम बाकी है
शायद जिन्दगी कम पड जाये
फौरन मिलना है सृष्टिकर्ता से
मेरी एक बिनंती सुने आज
कल के लिए वक्त बाकी रखे
हर कल के लिए
बस मेरी यही एक प्रार्थना है
कुछ वक्त बाकी रखे
माने ना माने
पैर भी पकडूँगा
कल के लिए
हर कल के लिए ॥


- श्री सुनील कुमार परीट

 

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