आज हमें
जी भर जीना है
कौन जाने कल
शायद कल न हो
सूरज उगे
पर हम न जगे
कल कल न हो
रात हो
नींद हो
पर हमारी आँख न खुली
तो कल कल न हो
घरबार उठे
आँगन सजे
सब हँसे-गाये
हम सोते रहे
तो कल कल न हो
कली खिल जाये
पंछी चहचहाये
कोयल गाये मधुर
हमारे कान न सुने
तो कल कल न हो ॥
आज जी भर जीना है
सूरज सा चमकना है
चाँद-तारों सा दमकना है
फूल कलियों सा खिलना है
पंछी कोयल सा गाना है
आज ही सबकुछ करना है
शायद
कल कल न हो ॥
- श्री सुनील कुमार परीट
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY