सच मानते हैं
स्त्री से हुआ रामायण
सच कहते हैं
स्त्री से हुआ महाभारत॥
पर क्यों ये भूलते हैं
बिना स्त्री के
राम कैसे बनते पुरुषोत्तम,
माँ हमारी जननी
जो है एक स्त्री
सुख-दुख की अर्धांगिणी
जो है एक स्त्री
हर कामयाबी के पीछे
जो है एक स्त्री
इतने समझदार हैं
फिर क्यों मारते बेटियाँ
बेटियाँ सजाती घर-आँगन
सदा बाबूल की
सेवा करती सास-ससूर की
पति को माने परमात्मा॥
स्त्री जो है हमसफर
स्त्री जो है हमदर्दी
स्त्री में है जो शक्ति
किसमे है ओ सहन शक्ति॥
माँ-बहन-पत्नी
न जाने इस दुनिया में
कौन-कौन सी पात्र निभाती
क्या-क्या सहती
नदी बहुत सहती
सो नदी का नाम स्त्री है
धरती हो या संस्कृति या मुल्क
सभी को स्त्री में पाया गया,
अब स्त्री सिर्फ स्त्री नहीं
मानव के लिए
है सबकुछ
स्त्री है सबकुछ॥
- श्री सुनील कुमार परीट
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY