बहस है कि
व्यक्ति और मनुष्य एक ही तो हैं
किन्तु
मनुष्य व्यक्ति हो सकता है
पर हरगिज सिर्फ व्यक्ति
मनुष्य नहीं हो सकता,
जो दहशतवाद मचाये
जो आतंक फैलाये
मेरे हिसाब से वो
मनुष्य नहीं है॥
हर एक तो व्यक्ति है
पर हर एक मनुष्य नहीं है
माने व्यक्ति में उसी का
एक व्यक्तित्व हो सकता है
पर मनुष्य में उसी का
एक विशिष्ट व्यक्तित्व होता है
और बढकर
मनुष्य में मनुष्यत्व होता है॥
मनुष्य चाहे व्यक्ति सा
बर्ताव कर सकता है
मनुष्यहीन व्यक्ति कभी
मनुष्य सा
बर्ताव नहीं कर सकता॥
जो कुछ भी चाहे
जो कुछ भी सोचे
व्यक्ति और मनुष्य
एक सा नहीं होते
मनुष्य में मनुष्यता है
व्यक्ति में मनुष्यता न हो
तो जमीन – आसमां का
फर्क होता है
व्यक्ति और मनुष्य में
फर्क होता है॥
मनुष्यताहीन समाज से
कभी जन्नत नहीं पा सकते॥
श्री सुनील कुमार परीट
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