Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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* ये पब्लिक है *

 

ये पब्लिक है
जो सब जानती है
पर ये पब्लिक न जाने
क्यों नहीं जागती है॥

 

कहते है वे
घर-बार बनवा देंगे
पर ये नादान है
सच-झूठ सब मानती है॥

 

जाबवर का चारा
किस मँह से खाया
काम एक न किया
फिर तुम्हें राजा बनाती है॥

 

अंदर-बाहर कुछ भी
कर काले नाम काले काम
कोई पूछता नहीं
अभी पाप का घागर भरा नहीं॥

 

रंगीन काम हैं सब
रंगीन हाथों पकडों
शर्मनाक कोई काम नहीं
वहाँ बैठे हैं राजा बनके॥

 

बेचारी ये जनता
सब सहती है अपने आप
न जाने कब जल उठेगी
धधकती ये आग की चिंगारी॥

 

सच ये पब्लिक है
जो सब जानती है,
कृष्ण का रुप धरके
कंस का संहार करती है॥

 


- श्री सुनील कुमार परीट

 

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