Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आँखों ही आँखों ने कह दी

 

 

आँखों ही आँखों ने कह दी
हौले से आँखों में ....
आँखों में बसी अनकही बातें ....,
और आ गयी उतर कर
आँखों से उनके
आँखों में बसी पुलक
बनकर मुसकराहट
उनके ओठों में हौले-से ...!

 

 


-डॉ. सुरेन्द्र यादव , इंदौर

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ