Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये बच्चे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते

 

तेइस बरस से लेकर आज....
अड़सठ बरस होने पर भी
ये बच्चे मुझे ...
तेइस बरस की उम्र में रोक कर
उस उम्र से आगे मुझे बढने नहीं देते ...
ये बच्चे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते .

 

समय बढ़ता जाता है
शरीर भी निभाता है अपना धर्म ,
किन्तु मन जो है यह
ठहरा हुआ है अभी भी तेइस पर ही
ढीठ–सा
बहाना लेकर यह कि..
ये बच्चे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते .

 

बूढ़ा मुझे वे भी होने नहीं देते ...
बन गए हैं लाढ-प्यार में जो अकर्मण्य
होकर चालीस-पचास के आसपास
बढ़ना नहीं चाहते अभी भी वे
आठ-दस बरस से आगे,
जरूरतें उनकी इतनी कि
रोककर खड़ी हो जाती हैं मेरा रास्ता
हार जाती हैं मेरी आराम से जीने की हसरतें
मान लेता हूँ और फिर उनकी ज़िदभरी हंसी के आगे
यह कहकर कि
ये बच्चे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते .

 

लाद कर
अपनी झुर्रियों-भरे चेहरे पर मुस्कान
परिवार की महत्वाकांक्षाएँ
बावजूद लडखडाते क़दमों के
कहलवा ही देती है बार-बार
कि .....
ये बच्चे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते .

 

रात-रात भर जगा-जगा कर
खूबसूरत लड़की के मुखौटे में छिपे लड़केनुमा
ये फेसबूकिया मिथ्या चेहरे
देकर अपनी नाजुक बाँहों में
जन्म-जन्मान्तरों तक साथ रहने का आश्वासन
कहते हैं ‘रुको, दस मिनिट...अभी आती हूँ ‘
और देखते हुए ठहर जाती है उम्र
इस अहसास से कि ‘वो अभी आती है’
और देखकर यह सब .. ये बच्चे ही हँसतें हैं
कहकर यह कि....
‘ये बच्चे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते’ .

 

 


-डॉ. सुरेन्द्र यादव

 

 

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