Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दर्दे दिल में दर्द का कोई निशां होता नहीं

 

दर्दे दिल में दर्द का कोई निशां होता नहीं।
हौसला ताउम्र होता है फना होता नहीं।
कहाॅ फुरसत है इसे जो दर्द दिखलाता फिरे,
बेतकुल्लफ हुआ इतना कुछ पता होता नहीं।

भीड़ में भी दूर रखती इश्क की दीवानगी
प्यार के मारों का कोई आशियाॅं होता नहीं।
कारवायें इश्क चलता है सदा उम्मीद पर,
एक चिंगारी सा रहता है, जवां होता नहीं।

प्यार आॅखों की नमीं बन जाये तो क्या,
इश्क के मारों पर सितम कहाॅं होता नहीं।
उड़ता रहता है परिन्दों सा फकत दीदार को,
नमीं आॅखों मेें लिए पर आसमाॅं होता नहीं।

‘गुरू’ मुश्किल हुआ जीना धूप के संसार में,
इन्तहां है जुल्म की पर पासवाॅ होता नहीं।

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