Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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स्वतंत्रता दिवस

 


हम…हम…वन्दे मातरम
एक वतन के रहनेवाले हम,
एक चमन में खिलनेवाले हैं,
एक पवन में बहनेवाले हम,
एक गगन में उडनेवाले हम. हम , हम …हम…वन्दे मातरम.
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे…
हम, हम …हम…वन्दे मातरम .
.
हिमगिरि पर लहराता हमको अच्छा लगे तिरंगा.
अंतर में हर हर हरियाती शीतल यमुना गंगा.
सूर्योदय के साथ जहाँ माँ के लगते जयकारे.
हिंद महासागर जिसकी माता के चरण पाखरे.
माँ को शीश झुकानेवाले हम,
माँ की पूजा करनेवाले हम, हम , हम …हम…वन्दे मातरम.
याद हैं हमको अब भी उन वीर शहीदों के बलिदान.
आज़ादी की खातिर जिनने त्याग दिए थे अपने प्राण.
देश भक्ति की खुशबू से जन गन मन को महंकाया.
बुंदेले हरबोलों ने जिनकी हर गाथा को गाया.
देश पे प्राण लुटानेवाले हम,
माँ की पूजा करनेवाले हम, हम , हम …हम…वन्दे मातरम.
भगत सिंह, आज़ाद, बिनोबा, गाँधी जी की गाथा,
सारा भारत गली गली में एक स्वर में दोहराता.
तिलक,गोखले, के घोषों ने पूर्ण स्वराज्य दिलाया,
बलिदानों का साक्षी लाल किले पर ध्वज लहराया.
शत्रु को धूळ चटानेवाले हम,
माँ की पूजा करनेवाले हम, हम , हम …हम…वन्दे मातरम.
न कोई हिन्दू, मुस्लिम है, न कोई सिख,ईसाई.
एक माटी के हम सपूत आपस में भाई भाई.
संविधान सबसे ऊंचा पर उससे भारतमाता.
अखिल विश्व में हिन्दुस्तानी एक्य भाव दर्शाता.
दीप से दीप जलनेवाले हम,
माँ की पूजा करनेवाले हम, हम , हम …हम…वन्दे मातरम .
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे…
हम , हम …हम…वन्दे मातरम .

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