मेरी अरमानों की
आसमान में
छा गया है
काला बादल.....
मेरे सूरज को
छिपा दिया है,
बरस जाओ तुम
मेरे तप्त उर के
झरोके से ......
मेरे दिल की
अग्नि बुझ जाएं ।
’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’
डा० टी० पी० शाजू
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मेरी अरमानों की
आसमान में
छा गया है
काला बादल.....
मेरे सूरज को
छिपा दिया है,
बरस जाओ तुम
मेरे तप्त उर के
झरोके से ......
मेरे दिल की
अग्नि बुझ जाएं ।
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डा० टी० पी० शाजू
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