Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आदमी तो वह अच्छा है, पर बदनाम बहुत है

 

आदमी  तो  वह  अच्छा  है, पर बदनाम  बहुत है

जबां  से  शिकायत  कम,  लगाता इलजाम बहुत है


तवस्सुर1  में जब  होती  है  कोई  मेहरजबी,  तब

दिल  के लिये  आँखों  से  लेता  काम  बहुत  है


बेदादे-इश्क2 की परवाह नहीं करता ,देखते ही किसी

दिल खाम कलि को कहता,तेरी आँखों में ज़ाम बहुत है


न  किसी  के  पास  बैठता, न  किसी को बैठने देता

अपने    हिज्र   में   दिखाता   मुकाम   बहुत   है


ख़ुदा  से  कहता  बेखुदी  है वस्ल में, या छाई है तेरी

हया, जो लोग कहते खुल्द3 में मिलता आराम बहुत है




1.         ध्यान  2. प्यार का ज़ुल्म  3. स्वर्ग

 


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