आँसू
जीवन कली कीपँखुड़ी में बंद
बहुबाधाओं को पार कर स्वच्छंद
हृदय आकाश पर घूमनेवाले
सच–सच बतला,तुम कौन हो अलबेले
क्या तुम आदि प्रेमका ज्वाल हो, या
किसी वियोगिनी मन के आस का कण हो
जीवन यात्राके अंतिम क्षणों तक
पलकों पर वारिदका तप्त बिंदुबन
झूलनेवाले बतलाओ , आखिर तुम कौन हो
क्योंतुम मेरी लेखनी से कराह
पीड़ाओं की भाषाबन निकल रहे हो
जनहीन, शून्य मरुदेश मेंविरही के
निष्प्रेमनयन से, चित्कार भर रहे हो
निकलकर निराकार गृह से,लेकर आकार
मृत्यु काविमान बनरहे हो
जन-जन की आँखों का जल बन
कंठ-कंठ कोप्यासा रखते हो
मानस के भावों का तूफ़ान बन
उर बाँध को तोड़ देते हो
निराशा बीचव्यथामय गान
सुनाने वाले, बोलो तुम कौन हो
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