Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आप जो देख रहे

 

आप जो देख  रहे , वही  हम  देखते  हैं

मगरआप ज्यादा , हम  कम  देखते  हैं


है कहाँ  और  तमन्ना  का  दूसरा  कदम

हम  तो  आपके  कदमों  में  झरम1 देखते हैं


वक्त  गया  मगर  हवसे-जिंदगी2  जाती  नहीं

हम हुस्न-हुस्न की निदामत3की कसम देखते हैं


करूँ  क्या  जब  भी  वह  भूले  से  आती है

याद, हम  खातिरमें  उसका सितम देखते हैं


छलावा लगता   जिंदगी  का  जल्वा , जब

सुबह  तक  दिलासे  देते  शबे-गम  देखते  हैं 



  1. स्वर्ग 2. मिलन का लालच 3. पाश्चाताप

4. हृदय



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