Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ए दिल पोछ ले अश्क अपना

 

ए  दिल  पोछ  ले  अश्क  अपना, कैसी-कैसी  सूरतें उठ गईं
नजर के सामने से, किस-किस पर मातम तू मनायेगा

राजे-हयात1 जान कर भी तू करेगा क्या, जो अदम के
हाथों उलझी थी गुत्थी, क्या उसे सुलझायेगा

मत भूल कि जिंदगी की रह में सरगरदा2 तू है
तेरे निगाहे-करम से चरागे-दैरे3 हरम कभी नहीं झिलमिलायेगा

खाक4 में होती इतनी चमक कहाँ ,जो तेरे दर्दे-महजूरी5
से अंजुमो-माह6 का प्रकाश कम हो जायेगा

एक राहे-इत्तहाद7 है, उसकी याद में तू दोनों जहां को भूल जा
वरना, खेमा-ए-अलफ़ाक8 के नीचे तू निशाने मजार बन जायेगा


1.जिंदगी का राज 2.घूम रहा 3. काबे और बुतखाने का दीपक 4. मिट्टी 5. विरह की पीड़ा 6. सूरज-चाँद 7. मिलन का उपाय 8. आकाश के नीचे


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