Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ऐ नूर, तू चिरागे राह है, मुसाफ़िरे मंजिल नहीं

 


ऐ नूर, तू चिरागे राह है, मुसाफ़िरे मंजिल नहीं

तेरी तबीयत आम है, तू जौहरे काबिल नहीं


दरिया- ए- दिल तेरी कशिश1 से मौजजन2 है

तेरे दिल की तरह, उसका खामोश दिल नहीं


बज़्मे - महफ़िल का आराइश3 है तू, फ़िर भी

बज़्मे- हस्ती के महफ़िल का तू महफ़िल नहीं


माना कि तू तिलिस्मे- पेचो- ताब4 है, तुझमें

सोजे- दरू5 है पर तू गरमी -ए -महफ़िल नहीं


तू ठहरी हुई शरर6 है, मेरी तरह मिटनेवाली नहीं

हर दिल अजीज रहकर भी, तू रफ़ीके-राहे7मंजिल नहीं


1.आकर्षण 2.तरंग 3.शृंगार 4.जादूगर 5.अंतर ज्वाला

6.चिनगारी 7.यात्रा का साथी

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