Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अक्सर हमारे ही साथ ऐसा

 


अक्सर  हमारे  ही  साथ  ऐसा  होता  क्यों है

हम जिसका भला चाहते, वह बुरा चाहता क्यों है


गजब की दुनिया है,इन्सां को इन्सां की कद्र नहीं

फ़िर  भी  फ़रिश्ता  यहाँ  आना चाह्ता क्यों  है


सुनानेकाबिलथी  जो  बात, सुनाया  नहीं

आज  उसी  बात  को  सुनाने  वह रोता क्यों है


पता है,चारा-ए-गमउल्फ़त की मिलती नहीं दवा 

फ़िर भी आदमी नक्शे-मुहब्बत पर चलता क्यों है


नजर  आता  नहीं  खते तकदीर, कैसा होगा वह

लौह2  और कलम, आदमी  देखना चाहता क्यों है


मुहब्बत  में नहीं फ़र्क जीने और मरने में,तुम्हारी

तप-हिज्राकी  गर्मी है बड़ी तेज, कहता क्यों है



  1. प्रेम—वेदना  2.तख्ती 3.विरहाग्नि

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