Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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धुआूँ-धुआूँ दीखता आपको गुम्बदे – मीना

 

धुआूँ-धुआूँ दीखता आपको गुम्बदे – मीना1
मेरा सदले-दाग आपको आता नहीं नजर
कैसे सुनाऊूँ सदले - हाल अपना, आपको
जब भी लगती सुनाने, रात जाती गुजर
हजारों िादे आप मेरे साथ सकये, मगर
एक का भी आपने सकया नहीं कदर
और सकसी राह से िासफ़क नहीं मैं, अहले-
दुसनया2 में और नहीं मेरा कोई घर
मगर अफ़सोस है ऐ तड़प, जब तक उनको
समलेे्गी यह खबर, मैं दुसनया से जाऊूँगी गुजर
1. आकाश 2. इन्सान

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