Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

गमे-दिल किससे कहे

 

गमे-दिल  किससे कहे, कोई गमख्वार1 नहीं मिलता

दिलसे  दिल  तोमिलता, दिलदार नहीं मिलता


वो रोज आती है ख्यालों में,आँखों में रहती है तस्वीर 

बनकर ,हाथ  बढ़ाता जब दौलते-बेदार2 नहीं मिलता


उम्रभर  हम  अपनीकिस्मत पर रोते रहे, बहारे 

उम्रकेबागेजहां में खिला गुलजार नहीं मिलता


कईबार  दिल चाहा, उसके कूचे3 से उठकर जाना

मगरजायें तो  कैसे, ताकते-रफ़्तार4 नहीं  मिलता


मौतहीएकदवाहै, हमइश्कके बीमार की

मगरमिलती   कहाँ, वह  बाजार  नहींमिलता



1.गम बाँटनेवाला 2.जागृत अवस्था 3. गली 4. शक्ति

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ