Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जाने वाले मिट जाते हैं, फ़ना नहीं होते

 

जाने  वाले  मिट  जाते  हैं, फ़ना  नहीं होते

आँखों से दूर रहकर भी,दिल से जुदा नहीं होते 


यादों के पहाड़ को ,दिल पे लिये लाचार फ़िरते 

चाहकरभी,  उतारकरफ़ेंक  नहीं  सकते 


मजा  जिसने भी गम के खाये, वे अपना मुख

आसुओं  से अंधेरे में धोते,उजाले को नहीं रोते 


कुछ  न  कुछ  तो बात होगी उसके हँसने की

बेवजहकोई किसीपर नहींहँसते 


रूह  जन्नत  हो जाती है,धरी रह जाती जिस्म

-गीली, फ़िर  भी रफ़तगाँ2 बेपर्दा  नहीं  होते 



  1. मिट्टी का शरीर  2 .स्वर्गवासी

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