Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जो तुम हसरते - दीदार का इजहार न करती

 

जो तुम हसरते - दीदार1 का इजहार न करती

कसम ख़ुदा की, हम तुमसे प्यार न करते


जिंदगी काट लेते, गमो हसरत के जोश में

दागे - मुहब्बत को दिले - गुलजार2 न कहते


अपने महरूम-किस्मत3 की शिकायत मालिक से करते

जो सहरामें ताकते-खलिशे5 खार6 न होते


काश कि कातिल की तरह गवाह भी करीब होता, 

हम खंजर से चीरकर अपने सीने को शर्मसार न करते


जो तुम रंगे-रुखसार7 बन याद न आती, हम अपने

सपने को तुम्हारे जल्वे से गुलजार न करते


1.देखने की इच्छा 2.रंगीन दिल 3.दुर्भाग्य 4. जंगल

5. चुभन 6. काँटे 7. रंगीन गाल


Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ