खुदा जाने,इश्क की तबीयत जीस्त1 का मजा
पाई जहाँ, वो रौनकेमहफ़िल कहाँ है
जिसे याद कर ,जिगर खूँ2 होके आँखों से
टपकता है, वह तीरे नजर कातिल कहाँ है
है अगर मेरे सिवा भी कोई उसका चाहनेवाला
तो बतलाती क्यों नहीं, इसमें मुश्किल कहाँ है
नादां है वहजो कहती है मुझे भूल जाओ
मैं जिस दिल में रहता था,वह दिल कहाँ है
या खुदा,तू बहर3 है और कश्ती भी मगर यह
तो बता , मुझे जाना जहाँ,वह साहिल4कहाँ है
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